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एवोकाडो की खेती करते हुए किसान, हरे-भरे फल लगे हुए पौधे के साथ

एवोकाडो की खेती दे रहा किसानों को नई उड़ान: कम लागत, ज्यादा मुनाफा!

Ashish Chouhan 2 days ago 0 3

पहले एवोकाडो को एक विदेशी फल माना जाता था और लोग सोचते थे कि इसकी खेती भारत में मुमकिन नहीं है। लेकिन अब ये सोच बदल गई है। केरल के किसान, खासकर वायनाड जिले के अंबालावायल गांव में, एवोकाडो की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अब यही अंबालावायल “एवोकाडो सिटी” के नाम से जाना जाने लगा है।

एवोकाडो की खेती दे रही किसानों को नई पहचान

केरल के अंबालावायल जैसे इलाकों में एवोकाडो की खेती किसानों के लिए नई उम्मीद बन गई है। यहां की जलवायु और मिट्टी एवोकाडो के लिए एकदम सही साबित हो रही है। इसमें लागत कम है और एक पौधे से ₹5,000 से ₹50,000 तक की कमाई हो सकती है। यही वजह है कि अब किसान पारंपरिक फसलों की जगह एवोकाडो की खेती को अपना रहे हैं।

जून-जुलाई में होता है एवोकाडो का बड़ा निर्यात

बटर फ्रूट के नाम से मशहूर एवोकाडो अब केरल के अंबालावायल गांव के किसानों के लिए एक नई उम्मीद बन गया है। खासतौर पर जून और जुलाई के महीनों में यहां से टनों एवोकाडो देश के बड़े शहरों और खाड़ी देशों जैसे विदेशी बाजारों में निर्यात किया जाता है। क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (RARS) के अनुसार, एक 10 साल पुराना एवोकाडो का पेड़ एक सीजन में करीब 400 फल दे सकता है। इन फलों में 30 से 40 प्रतिशत तक फैट कंटेंट होता है, जो इन्हें पोषक तत्वों से भरपूर बनाता है। मेट्रो शहरों और विदेशों में इसकी भारी मांग है।

एवोकाडो फेस्टिवल

‘एवोकाडो फेस्टिवल’ ने अंबालावायल को एवोकाडो हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। इस आयोजन में केरल ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी आए 500 से ज्यादा किसानों ने हिस्सा लिया। फेस्टिवल के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे एवोकाडो की बढ़ती मांग के चलते इसकी खेती किसानों की आय दोगुनी करने की क्षमता रखती है। यह आयोजन किसानों में नई ऊर्जा और भरोसा भरने वाला साबित हुआ।

क्यों खास है ?

एवोकाडो की खेती इसलिए खास मानी जा रही है क्योंकि केरल का गर्म और नम मौसम इसके लिए बिल्कुल अनुकूल है। वायनाड जैसे इलाकों में जहां पहले से कॉफी, काली मिर्च, धान और केले की खेती होती रही है, वहीं अब एवोकाडो भी किसानों की पसंद बनता जा रहा है। एक परिपक्व पेड़ सालाना 500 से 1000 फल दे सकता है, जिनका वजन 300 ग्राम से 1 किलो तक होता है। अंबालावायल के किसान सी.बी. विनायक ने बताया कि उनके 6 साल पुराने पेड़ से पहली बार 75 किलो फल मिले, जो उन्होंने ₹20 प्रति किलो बेचे। वे अब एवोकाडो से पाउडर और अन्य वैल्यू-एडेड उत्पाद बनाकर अधिक मुनाफा कमाने की तैयारी में हैं।

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