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काली गाजर की खेती से बदल रही किसानों की तस्वीर, जानिए कैसे

Ashish Chouhan 2 months ago 0 10

काली गाजर (Black Carrot) : गाजर एक ऐसी फसल है, जिससे न केवल सेहत मिलती है, बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। आपने अब तक लाल गाजर तो कई बार खाई होगी, लेकिन आज हम आपको गाजर की एक बेहद डिमांड में रहने वाली किस्म — काली गाजर (Black Carrot) के बारे में बताने जा रहे हैं। जी हां, काली गाजर कई मायनों में बेहद खास और फायदेमंद है। यह न केवल पोषण से भरपूर होती है, बल्कि इसकी बाजार में मांग भी तेजी से बढ़ रही है। इसके औषधीय गुणों और प्रोसेस्ड उत्पादों में उपयोग की वजह से किसान इससे अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं।

क्या है काली गाजर?

काली गाजर, लाल या नारंगी गाजर की तुलना में ज्यादा पौष्टिक होती है। इसमें एंथोसायनिन नाम का एक ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो कैंसर से लड़ने, शरीर की रोगों से बचाव की ताकत बढ़ाने और शरीर को अंदर से साफ करने में मदद करता है। इसी वजह से काली गाजर का इस्तेमाल अब जूस, सिरका, अचार, जैम और दवाओं में भी किया जाने लगा है।

काली गाजर की खेती के फायदे:

  • कम लागत, अधिक मुनाफा: एक एकड़ में काली गाजर की खेती पर सामान्यतः ₹25,000–30,000 का खर्च आता है, जबकि किसान इससे ₹1.5 लाख तक की कमाई कर सकते हैं।
  • काली गाजर की मांग जूस, सिरका, अचार, जैम और आयुर्वेदिक उत्पादों में तेजी से बढ़ रही है।
  •  सामान्य गाजर के मुकाबले इसकी कीमत अधिक मिलती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है।
  • यह फसल कम सिंचाई में भी अच्छी उपज देती है, जिससे पानी की बचत होती है।

 कहाँ हो रही है खेती?

भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में अब काली गाजर की खेती तेजी से बढ़ रही है। कई किसान अब पारंपरिक फसलों की जगह काली गाजर उगा रहे हैं और उन्हें इससे अच्छा फायदा भी मिल रहा है।

 बाजार में बढ़ती मांग

काली गाजर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी मांग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है। खासतौर पर हेल्थ इंडस्ट्री और ऑर्गेनिक फूड कंपनियां इसके जूस और अर्क (एक्सट्रैक्ट) की बड़ी मात्रा में मांग कर रही हैं। इसी वजह से काली गाजर की कीमत लाल गाजर से 2 से 3 गुना ज्यादा मिल रही है।

सबसे अच्छी मिट्टी 

काली गाजर की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी दोमट या रेतीली दोमट होती है। ऐसी मिट्टी में जल निकासी अच्छी होती है और गाजर की जड़ें आसानी से बढ़ती हैं। मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। साथ ही मिट्टी में गोबर की खाद या कंपोस्ट जैसे सेंद्रिय पदार्थ होने से फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है। कठोर चिकनी मिट्टी और पानी जमा करने वाली मिट्टी से बचना चाहिए, क्योंकि इससे गाजर खराब हो सकती है।

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