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मक्का की फसल में लगने वाली प्रमुख बीमारियों के लक्षण और बचाव के तरीके

मक्का की फसल में होने वाली बीमारियां और बचाव के कारगर समाधान

Ashish Chouhan 6 days ago 0 13

अगर आप मक्का की खेती करते हैं तो यह जानना बहुत जरूरी है कि कौन-कौन सी बीमारियां आपकी फसल को नुकसान पहुंचा सकती हैं और उनसे बचाव कैसे करें। छोटी-सी लापरवाही भी आपकी पैदावार पर भारी पड़ सकती है। आइए, मक्का की फसल में होने वाली आम बीमारियों और उनके बचाव के सरल उपायों को जानते हैं।

मक्का की फसल में लगने वाली प्रमुख बीमारियां और बचाव

  1. बीज गलन और अंगमारी
    यह बीमारी पिथियम, फ्यूजेरियम और स्क्लेरोसियम जैसे फफूंद के कारण होती है, जो मिट्टी में रहते हैं। बीज अंकुरित नहीं होते या जल्दी गल जाते हैं, जिससे पौधों की संख्या कम हो जाती है।
    बचाव: बीज बोने से पहले 4 ग्राम थीरम प्रति किलो बीज की दर से फफूंदनाशक का छिड़काव करें। इससे बीज सुरक्षित अंकुरित होंगे।

  2. मेडिस पत्ता अंगमारी
    इस बीमारी में पत्तियों पर स्लेटी-भूरे धब्बे बनते हैं, जिनके चारों ओर पीला घेरा होता है। इससे पत्ते सूख जाते हैं और फसल की वृद्धि रुक जाती है।
    बचाव: बीमारी दिखते ही 0.2% मैन्कोजेब (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) छिड़काव करें। जरूरत पड़े तो 10 दिन बाद 1-2 बार फिर से छिड़काव करें। रोग-प्रतिरोधी किस्में लगाएं जैसे HQPM-4, HQPM-5, HQPM-7, HM-10।

  3. पत्ती अंगमारी
    यह बीमारी राइजोक्तोनिया सोलानी फफूंद से होती है। जमीन से सटे पत्तों पर बड़े धब्बे बनते हैं जो सूख जाते हैं, जिससे दानों का आकार और वजन कम हो जाता है।
    बचाव: खेत से घास हटाएं और नीचे के 2-3 पत्ते काटकर जलाएं। 0.2% वैलिडामायसिन या कार्बेंडाजिम का छिड़काव करें।

  4. सामान्य रतुआ
    यह बीमारी पक्सीनिया सोरगाई नामक फफूंद से होती है। पत्तियों पर गोल्डन ब्राउन रंग के धब्बे बनते हैं जो बाद में काले हो जाते हैं।
    बचाव: धब्बे दिखते ही 0.2% मैन्कोजेब (2 ग्राम प्रति लीटर) से 200 लीटर पानी में छिड़काव करें। 10-15 दिन बाद 3 बार दोहराएं। रोग-प्रतिरोधी किस्में जैसे HQPM-1, HQPM-4, HM-2, HM-5, HM-10, HM-11 लगाएं।

  5. तना गलन (फफूंद एवं जीवाणु जनित)
    इसमें नीचे की जड़ों में गलन होती है, पौधा गिर जाता है लेकिन कुछ दिनों तक जिंदा रहता है।और बदबू आती है।
    बचाव: तना गलन जैसी बीमारी से बचने के लिए ऐसी जगह पर फसल लगाएं जहाँ पानी रुके नहीं। अगर कोई पौधा बीमार दिखे तो उसे तुरंत हटा दें और नष्ट कर दें ताकि बीमारी और फैल न पाए। जब पौधे 5 से 7 हफ्ते के हो जाएं, तब 100 लीटर पानी में 150 ग्राम कैप्टान और 33 ग्राम स्टेबल ब्लिचिंग पाउडर मिलाकर उसके पास डालें। इससे मिट्टी अच्छी तरह गीली रहेगी और पौधे सेहतमंद रहेंगे।

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