मूंगफली की खेती से किसान भाई को होगी शानदार कमाई. जून का पहला-दूसरा सप्ताह मूंगफली की खेती के लिए सप्ताह उपयुक्त समय है. मूंगफली की खेती से किसान भाई को मिलेगा जबरदस्त मुनाफा हो सकता है
मूंगफली की खेती कई राज्यों में की जाती है. जिनमें राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश,कर्नाटक व पश्चिम बंगाल में इसकी प्रमुख रूप से खेती की जाती है मूंगफली की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी (Sandy loam) सबसे अच्छी मानी जाती है। खेत में 2-3 बार गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए उसे पाटा चलाकर मिट्टी को समतल करें जिससे पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था होगी।
मूंगफली की खेती के लिए सिंचाई है जरूरी
मूंगफली की खेती के लिए सिंचाई बहुत जरूरी होती है अगर बारिश नियमित हो रही हो, तो सिंचाई की जरूरत नहीं। लेकिन अगर 10–12 दिन तक बारिश न हो तो सिंचाई की जरुरी है फसल पकने के समय (अंत में) बहुत अधिक सिंचाई न करें, इससे दाने खराब हो सकते हैं या अंकुरित हो सकते हैं।
जैविक कीटनाशकों उपयोग करे
मूंगफली की खेती में रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करना एक स्वस्थ, टिकाऊ और मिट्टी के लिए फायदेमंद तरीका है।इससे मिट्टी और पर्यावरण दोनों ही सुरक्षित रहता है और साथ ही फसल की गुणवत्ता और स्वाद बेहतर होता है जिससे मित्र कीटों (जैसे मधुमक्खी) को नुकसान नहीं होता है. रासायनिक खर्च कम होता है.
मूंगफली की अच्छी पैदावार बढ़ाने के उपाय
मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिए खेत में कम से कम एक बार निराई-गुड़ाई जरूर करनी चाहिए। इससे मिट्टी नरम हो जाती है और पौधों की जड़ें अच्छे से फैलती हैं। जब मिट्टी में हवा अच्छे से पहुंचती है, तो पौधे मजबूत बनते हैं और दाना भी अच्छा भरता है। निराई-गुड़ाई से खरपतवार भी कम होते हैं, जो फसल की बढ़त में रुकावट डालते हैं।
कृषि रसायनों का उपयोग करते समय बरतने वाली सावधानियाँ
किसानों को कृषि दवाओं का इस्तेमाल करते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। दवा छिड़कते वक्त हाथ में दस्ताने, मुंह पर मास्क और पूरे कपड़े पहनना जरूरी है। बीज बोने से पहले बीजों को फफूंदनाशक या कीटनाशक से इलाज करें, फिर उसमें राइजोबियम कल्चर लगाएं।