भारत में मूंगफली की फसल तिलहन फसलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और इसे किसानों के लिए एक लाभदायक नकदी फसल माना जाता है। यदि आप मूंगफली की खेती कर रहे हैं या इसका सोच रहे हैं, तो ध्यान रखें कि फूल आने के समय पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। यही वह समय होता है जब फसल को उचित पोषण और देखभाल की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
मूंगफली में पीले फूलों का क्या है महत्व?
मूंगफली के पौधों पर जुलाई के महीने में चमकीले पीले फूल दिखाई देने लगते हैं। ये फूल अपने आप परागण करते हैं, जिसके बाद इनकी तली से “पेग” नामक संरचना निकलती है, जो मिट्टी में जाकर मूंगफली की फली का निर्माण करती है। इस प्रकार, इन पीले फूलों का फल की गुणवत्ता और उत्पादन से गहरा संबंध होता है।
फूलों के स्टेज पर रखें ये जरूरी सावधानियां
जब मूंगफली के पौधों पर फूल नज़र आने लगें, तो इसका मतलब है कि आपको फसल की देखभाल पहले से अधिक सतर्कता से करनी होगी।
- पोषक तत्वों का सही प्रबंधन करें
- फूल कमजोर होंगे तो गिर सकते हैं और इससे फल नहीं बन पाएंगे।
- इसलिए समय पर खाद और पोषक तत्वों का स्प्रे करें।
- किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर खाद की सही मात्रा और समय तय करें।
मूंगफली के लिए उर्वरक कब और कितना दें?
मूंगफली की फसल को बीमारियों से बचाने और इसे स्वस्थ रखने के लिए उर्वरकों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विशेष रूप से नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व पौधों की वृद्धि और विकास को प्रोत्साहित करते हैं।
- प्रति हेक्टेयर खेत में 15 किलो नाइट्रोजन और 60 किलो फॉस्फोरस डालने की सलाह दी जाती है।
- इसके साथ ही, 250 किलो जिप्सम प्रति हेक्टेयर डालना लाभकारी होता है।
- यह न केवल पौधों में तेल की मात्रा बढ़ाता है, बल्कि दाने भी बड़े और अच्छी गुणवत्ता वाले बनते हैं।
उर्वरकों का संतुलित और समय पर प्रयोग मूंगफली की उपज और गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होता है।
और ये भी पढ़े:- नारियल तेल पर सब्सिडी, ओणम से पहले केरल सरकार का तोहफा, जानिए