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धान के खेत में बकानी रोग से प्रभावित पत्तियां और किसान फसल की जांच करता हुआ

धान की फसल में फैल रहा बकानी रोग, किसान तुरंत बरतें सावधानी

Ashish Chouhan 5 days ago 0 15

बासमती धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बकानी रोग (Foot Rot) एक बड़ी परेशानी बनता जा रहा है। इस बीमारी से जो पौधे प्रभावित होते हैं, वो बाकी पौधों से अलग दिखते हैं ये ज्यादा लंबे हो जाते हैं, पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और धीरे-धीरे उनका विकास रुक जाता है। अगर समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए, तो ये बीमारी धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल सकती है और पूरी फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।

धान की फसल में बकानी रोग कैसे फैलता है?

यह रोग ज़्यादातर बीज और मिट्टी के ज़रिए फैलता है। इसका फंगस बीज के अंदर ही छिपा होता है। जब किसान वही बीज नर्सरी या खेत में बोते हैं, तो यह फंगस मिट्टी में फैलकर आसपास के स्वस्थ पौधों को भी संक्रमित कर देता है। धीरे-धीरे यह बीमारी पूरे खेत में फैल सकती है, जिससे फसल को बड़ा नुकसान हो सकता है।

बचाव के उपाय:

  1. बीज का उपचार: फसल की अच्छी शुरुआत के लिए बीज का उपचार बहुत जरूरी है। इसके लिए 10 लीटर पानी में 20 ग्राम कार्बेन्डाजिम (Bavistin 50% WP) और 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन मिलाएं। इस घोल में बीजों को 24 घंटे तक भिगोकर रखें। इससे बीज फफूंद और बैक्टीरिया से सुरक्षित रहते हैं और अंकुरण बेहतर होता है।
  2. नर्सरी की तैयारी: अच्छी नर्सरी के लिए 100 वर्ग मीटर क्षेत्र में 1 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद या 20–25 किलो वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं। इसके साथ 500 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडे (Trichoderma viride) मिलाना चाहिए। खेत की जुताई रोपाई से लगभग 15 दिन पहले कर लें, ताकि जैविक घटक मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाएं और रोगजनक फफूंद नष्ट हो सकें।
  3. रोकथाम के जैविक उपाय: फसलों को बीमारी से बचाने के लिए जैविक फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें। 1 लीटर Pseudomonas fluorescens को 200 लीटर पानी में मिलाकर पूरे खेत में छिड़काव करें। इसके अलावा, रोपाई से पहले पौधों की जड़ों को ट्राइकोडर्मा मिले पानी में 6 घंटे तक डुबोकर रखें। इससे जड़ों को मजबूती मिलती है और मृदाजन्य रोगों से बचाव होता है।
  4. रासायनिक उपाय: अगर जैविक उपाय पर्याप्त न हों, तो रासायनिक विकल्प अपनाएं। इसके लिए 500 ग्राम थायोफेनेट मेथाइल (Thiofanate Methyl) को 15–20 किलो रेत या सूखी मिट्टी में अच्छी तरह मिलाएं और फिर इस मिश्रण को खेत के खड़े पानी में छिड़क दें। यह मिट्टी में मौजूद फफूंद को नष्ट करने में सहायक होता है।

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