गन्ना भारत की प्रमुख नकदी फसलों में से एक है, और इसमें बरसात के मौसम की खास भूमिका होती है। इस मौसम में अगर सही तरीके से देखभाल की जाए, तो पैदावार बढ़ाई जा सकती है और नुकसान से भी बचा जा सकता है। अगर आप भी इस समय गन्ने की खेती कर रहे हैं, तो थोड़ी सी सावधानी और सही तकनीक अपनाकर अपनी फसल को बेहतर बना सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
बरसात में गन्ने गिरने से कैसे बचाएं?
- ट्रेंच मेथड से लगाया गया गन्ना कम गिरता है, लेकिन बारिश के मौसम में सावधानी ज़रूरी है।
- गन्ने की पत्तियों पर पानी जमा होने से वजन बढ़ता है और पौधा झुक या गिर सकता है।
- ऐसे में सबसे पहले नीचे की बंधाई करें, फिर ऊपर की।
- उथली रोपाई से बचें, इससे गिरने का खतरा बढ़ता है।
- अगली बार गन्ना कम से कम 30 सेमी गहराई में लगाएं इससे पकड़ मजबूत होगी।
बरसात में गन्ने मिट्टी चढ़ाते समय रखें यह ध्यान
- जिन गन्नों को गहराई में नहीं लगाया गया है, उनके आसपास मिट्टी चढ़ाना जरूरी है इससे पौधा मजबूत रहेगा और गिरने का खतरा कम होगा।
- रोगी या कमजोर गन्ने को इस समय बाहर निकाल देना चाहिए।
- इससे अच्छे पौधों को पूरा पोषण मिलेगा और पैदावार बेहतर होगी।
खाद और कीटनाशकों का सही इस्तेमाल
- पोटाश की 25 किलोग्राम प्रति एकड़ की मात्रा डालें।
- अगर खेत में कीट या बोलराड (white grub) हैं तो
- वर्टाको जैसे दवा को 4 किलो/एकड़ मिट्टी के साथ मिलाकर डालें।
जल निकासी (Drainage) बहुत जरूरी
- अगर गन्ना अभी कच्चा है यानी पूरी तरह मजबूत नहीं हुआ है, तो उसे पहली बंधाई में न बांधें। ऐसे पौधों को दूसरी बंधाई में शामिल करना बेहतर होता है।
- अगर बारिश या हवा से गन्ना गिर जाए, तो उसे 24 घंटे के अंदर फिर से खड़ा कर देना चाहिए। जल्दी संभाल लेने से तना नहीं टूटता और फसल को नुकसान नहीं होता।
- लेकिन अगर इसमें देर हो जाए, तो गन्ने के तने के टूटने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
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