बरसात का मौसम जितना सुकून देता है, उतनी ही चिंता भी बढ़ा सकता है खासकर हमारे पशुपालकों के लिए। इस मौसम में नमी, कीचड़ और बदलता तापमान छोटे बछड़ों के लिए ख़तरा बन सकते हैं। ज़रा सी लापरवाही डायरिया, न्यूमोनिया, त्वचा संबंधी रोग या पैरों की बीमारियों का कारण बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि इस मौसम में बछड़ों की साफ-सफाई, ठहरने की जगह और पोषण पर खास ध्यान दिया जाए। थोड़ी सी सतर्कता से हम उन्हें स्वस्थ रख सकते हैं और बड़ी परेशानियों से बचा सकते हैं। बरसात में बछड़ों की देखभाल के आसान उपाय
बरसात में बछड़ों के लिए सूखा और साफ शेड बनाएं
- चारे को हमेशा ऊंची जगह पर सुरक्षित रखें, जैसे कि प्लेटफ़ॉर्म या जाल पर।
- बारिश और नमी से चारे की सुरक्षा रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे सड़न लग सकती है।
- बारिश से बचाने के लिए पशुओं को ढके हुए शेड में संचित करें।
- गंदे या जमा हुए पानी को पीने से रोकें।
- दूषित पानी पीने से पशुओं में सर्दी, दस्त और ब्लैक क्वार्टर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
- बछड़ों को कीचड़ या गंदे पानी में चलने से रोकें।
- शेड और जानवरों के आसपास मक्खी-मच्छरों को जमा न होने दें।
- नीम के पत्तों का उबाला हुआ पानी या साफ़ कीटनाशक स्प्रे का उपयोग करें।
बछड़ों की देखभाल कैसे करें?
- पशुओं को बारिश शुरू होने से पहले टीका जरूर लगवाएं।
- पशुओं को साफ और हल्का गर्म पानी दें।
- बरसात के मौसम में बछड़ों को बाहर खुला न छोड़ें।
- इनका शरीर नाजुक होता है और इन्हें जल्दी ठंड लगती है।
- इनकी इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) कम होती है, इसलिए खास देखभाल जरूरी है।
- थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गुनगुना दूध पिलाते रहें ताकि उन्हें गर्मी मिलती रहे।
- ठंड से बचाने के लिए बोरी या पुराने कपड़ों से बना जैकेट पहनाएं।
- 3 महीने से ऊपर के बछड़ों को डीवार्मिंग ज़रूर दें।
- 6 महीने से ज्यादा उम्र के बछड़ों को ब्लैक क्वार्टर (BQ) का टीका लगवाएं।
- HS (Haemorrhagic Septicaemia) का टीका भी जरूरी है, खासकर बरसात के समय।
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