आज के समय में जब रासायनिक खादें महंगी होती जा रही हैं और उनकी वजह से मिट्टी की सेहत भी धीरे-धीरे खराब हो रही है, तो ऐसे में देसी और प्राकृतिक खेती की ओर लोगों का लौटना बढ़ना बिल्कुल समझ में आता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपके खेत या घर के गमलों में लगे पौधों को सस्ते और टिकाऊ तरीके से पोषण मिले, तो गोबर के उपलों से बनी खाद एक बढ़िया और आसान विकल्प हो सकता है। यह न सिर्फ मिट्टी की सेहत सुधारता है, बल्कि लंबे समय तक असर भी दिखाता है और इसकी सबसे अच्छी बात, यह पूरी तरह प्राकृतिक है।
क्यों जरूरी है देसी जैविक खाद?
केमिकल खादें शुरुआत में अच्छा असर ज़रूर दिखाती हैं इससे पौधे जल्दी बढ़ते हैं, हरियाली भी दिखाई देती है। लेकिन धीरे-धीरे ये खादें मिट्टी की ताकत छीन लेती हैं, और कुछ सालों में ज़मीन बेजान होने लगती है। इसके मुकाबले, गोबर की खाद मिट्टी को ज़िंदा रखती है। इसमें ऐसे सूक्ष्म जीव होते हैं जो मिट्टी को सांस लेने लायक बनाते हैं, उसकी नमी बनाए रखते हैं और फसल को प्राकृतिक पोषण देते हैं।
घर पर ऐसे बनाएं गोबर के उपलों से खाद
अगर आपके पास गाय या भैंस हैं, या आप गांव में रहते हैं, तो उपले (कंडे) आसानी से मिल जाएंगे। और अगर नहीं भी हैं, तो आज भी कई गांवों या हाट-बाजारों में ये कम दाम में आसानी से उपलब्ध हैं। इन उपलों से आप एक बेहद असरदार और जैविक खाद खुद घर पर बना सकते हैं।
ऐसे बनाएं खाद:
- उपलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लें।
- इन्हें किसी पुराने बर्तन, बाल्टी या टंकी में भर लें।
- इसमें सूखी पत्तियाँ, कटी हुई घास और रसोई से निकला जैविक कचरा (जैसे सब्ज़ियों के छिलके) भी मिला सकते हैं।
- अब इसमें इतना पानी डालें कि सब कुछ अच्छे से भीग जाए।
- फिर इसे किसी ढक्कन या कपड़े से ढककर 1-2 दिन के लिए छोड़ दें।
गोबर की खाद के फायदे
- इसके लिए आपको बाहर से कुछ खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
- मिट्टी को ताकतवर और ज़िंदा बनाए रखती है, जिससे फसल की पैदावार बेहतर होती है।
- रासायनिक दवाओं की ज़रूरत घटती है और पौधे सुरक्षित रहते हैं।
- फूल, फल और पत्ते सब ज्यादा मजबूत और चमकदार होते हैं।
- छोटे पौधों से लेकर बड़े खेतों तक, हर जगह असरदार है।
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