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शीशम के पेड़ की खेती करते किसान, पर्यावरण संरक्षण और आय बढ़ाते हुए

शीशम की खेती: पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक लाभ किसानों के लिए फायदे

Ashish Chouhan 2 months ago 0 8

आज के दौर में कई भारतीय किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ शीशम (Indian Rosewood) के पेड़ लगाकर लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। यह पेड़ सिर्फ पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं है, बल्कि इसकी लकड़ी की मांग भारत में ही नहीं, विदेशों में भी खूब है। कहा जाता है कि कई बार इसकी कीमत चंदन से भी ज्यादा मिलती है। इसलिए अब किसान इसे एक लंबे समय की फायदेमंद फसल के रूप में देखने लगे हैं।

शीशम की खेती क्यों है खास?

शीशम (Indian Rosewood) की पहचान उसकी मजबूत, टिकाऊ और दीमक-रोधी लकड़ी के लिए होती है। यही वजह है कि इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। इसकी लकड़ी का इस्तेमाल कई तरह की चीज़ों में होता है, जैसे: प्रीमियम फर्नीचर, दरवाजे-खिड़कियाँ, प्लाईवुड, संगीत के वाद्य यंत्र और रेलवे के डिब्बे तक बनाए जाते हैं।

बाजार में शीशम की लकड़ी की कीमत लगभग ₹2,500 प्रति क्यूबिक फीट तक जाती है। एक पूरी तरह से विकसित पेड़ से आप करीब ₹50,000 तक की कमाई कर सकते हैं।

शीशम की खेती कैसे शुरू करें?

  • शीशम का पेड़ गर्मी–सर्दी दोनों सह लेता है।
  • इसे हल्की रेतीली या दोमट मिट्टी पसंद है, लेकिन खेत में पानी जमा नहीं होना चाहिए। व
  • अगर आपके पास 1 एकड़ ज़मीन है, तो आप उसमें करीब 400 से 600 पौधे लगा सकते हैं।
  • पौधे एक-दूसरे से 3 मीटर की दूरी पर लगाएं ताकि फैलने की जगह मिले।
  • जब पेड़ छोटे होते हैं (शुरू के 2–3 साल), तो उनके बीच की जगह खाली नहीं छोड़नी चाहिए।
  • आप इस बीच मक्का, सरसों या दालें उगाकर अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं।

पर्यावरण के लिए क्यों फायदेमंद है शीशम?

  • शीशम का पेड़ आसपास की हवा से प्रदूषण सोखकर उसे साफ और ताजा बना देता है।
  • इसकी पत्तियाँ गिरकर मिट्टी में मिल जाती हैं, जिससे ज़मीन और ज़्यादा उपजाऊ होती है।
  • इसकी जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखती हैं, इसलिए बारिश में मिट्टी बहती नहीं है।
  • यह पेड़ हवा से हानिकारक गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड भी सोखता है, जिससे हमारे आसपास का तापमान कम होने में मदद मिलती है।

सरकार से मदद भी मिलती है

NABARD और कई राज्य सरकारें किसानों की मदद के लिए वनिकी योजना चलाती हैं। इस योजना के तहत आपको मिलते हैं:

  • मुफ्त या सस्ते पौधे
  • खेती के लिए जरूरी प्रशिक्षण
  • खेती में लगने वाले खर्चों पर सब्सिडी

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