बाढ़ से बर्बाद खेतों को तैयार: इस बार पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे कई राज्यों में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। किसानो की हजारों एकड़ फसल तबाह हो गई, खेतों में पानी भर गया और मिट्टी की उर्वरता तक खराब हो गई। खरीफ की फसल तो खत्म हो ही गई, लेकिन अब असली चिंता रबी सीजन की है क्योंकि बर्बाद हुए खेतों में फिर से खेती शुरू करना किसी चुनौती से कम नहीं है। घबराएं नहीं, खेत फिर से तैयार हो सकते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं एक आसान और कारगर स्टेप-बाय-स्टेप तरीका
बाढ़ के बाद किसानों को क्या करना चाहिए?
- सबसे पहले खेत में जमा पानी को निकालें।
- खेत की ढाल देखकर मेढ़ काटें या पंप से पानी बाहर निकालें।
- पानी निकलने के बाद खेत को कुछ दिन खुला छोड़ें, ताकि मिट्टी सूख सके।
- जैसे ही खेत इतना सूख जाए तो मेढ़ और नालियां बंद कर दें, ताकि दोबारा पानी अंदर न आए।
सिल्ट (गाद) हटाना क्यों जरूरी है?
बाढ़ के पानी के साथ खेतों में जो सिल्ट यानी गाद जम जाती है, वही फसल उगाने में सबसे बड़ी बाधा बनती है।
- अगर गाद की परत पतली हो (2 से 5 सेमी तक), तो आप रोटावेटर या गहरी जुताई से इसे मिट्टी में मिला सकते हैं।
- लेकिन अगर गाद मोटी हो (6 इंच या उससे ज्यादा), तो JCB या ट्रैक्टर की मदद लेना पड़ेगा। ये थोड़ा महंगा हो सकता है, लेकिन जरूरी है।
मिट्टी को फिर से “जिंदा” करें
सिर्फ खेत साफ करना काफी नहीं, बाढ़ ने मिट्टी की ताकत भी कम कर दी है। अब उसे फिर से उपजाऊ बनाना जरूरी है।
हरी खाद लगाएं:
- ढैंचा, सन, मूंग, उर्द जैसी फसलें बोएं।
- 40-45 दिन बाद ट्रैक्टर से इन्हें मिट्टी में पलट दें।
- इससे नाइट्रोजन और जैविक तत्व मिट्टी में लौटेंगे और मिट्टी की सेहत बेहतर होगी।
सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें
- यह मिट्टी को जल्दी उपजाऊ बनाता है।
- ध्यान रखें, कच्चा गोबर न डालें, पूरी तरह सड़ी हुई खाद ही इस्तेमाल करें।
मिट्टी की जांच कराएं
- जानें मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व कम हुए हैं।
- अगर मिट्टी चिपचिपी या अम्लीय हो, तो चूना या जिप्सम मिलाएं।
अगली फसल लगाने से पहले खेत को थोड़ा वक्त दें
खेत को दोबारा फसल के लायक बनने में थोड़ा वक्त लगेगा। जल्दबाज़ी ना करें। अगर आपकी जमीन पूरी तरह ठीक नहीं हो पाई है, तो एक सीजन के लिए सिर्फ हरी खाद ही उगाएं। इससे अगली बार जमीन और ज्यादा ताकतवर बनकर तैयार होगी।
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