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सरसों की खेती की तैयारी करते किसान – बुआई से पहले खेत की जुताई

सरसों की बंपर पैदावार: कम लागत, ज़्यादा मुनाफा – जानिए सही तैयारी

Ashish Chouhan 1 month ago 0 3

सरसों की बंपर पैदावार: सितंबर के आखिरी हफ्ते से सरसों की खेती की तैयारी शुरू हो जाती है। यह फसल सिर्फ तेल के लिए ही नहीं, बल्कि हरी पत्तियों और बीजों से भी अच्छी कमाई देती है। लेकिन एक अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी और बुआई की विधि पर खास ध्यान देना ज़रूरी है। आज हम आपको बताएंगे कि खेत की जुताई कैसे करें, और डिबलर व छिट्टूआ विधियों में कौन-सी आपके खेत के लिए बेहतर है।

खेत की तैयारी

सरसों की अच्छी पैदावार के लिए खेत को भुरभुरा और खरपतवार रहित बनाना जरूरी है:

  • 2-3 बार जुताई करें पहली बार गहरी जुताई, फिर कल्टीवेटर से।
  • इससे मिट्टी में नमी आ जाएगी और बीज जल्दी अंकुरित होंगे।
  • जुताई के बाद हल्की सिंचाई करें इससे बीज तेजी से अंकुरित होते हैं

बुआई की दो प्रमुख विधियाँ

1. डिबलर विधि (संगठित और आधुनिक)

  • इसमें बीज मशीन या डिबलर टूल से सीधा मिट्टी में बोया जाता है।
  • सिर्फ 4-5 किलो बीज प्रति हेक्टेयर लगता है
  • पौधों के बीच 20-25 सेमी की दूरी होती है जिससे वे अच्छे से बढ़ते हैं।
  • इससे पानी, खाद और मेहनत – तीनों की बचत होती है।

2.  छिट्टूआ विधि (परंपरागत और सस्ती)

अगर आपके पास छोटा खेत है और आप कम लागत में काम चलाना चाहते हैं, तो यह तरीका अपनाया जाता है:

  • बीज को हाथ से मिट्टी पर छिटक कर बोया जाता है।
  • इसमें 6-8 किलो बीज प्रति हेक्टेयर लग सकता है।
  • छोटे खेतों में यह तरीका सरल और जल्दी हो जाता है।
  • लेकिन इसमें बीज की बर्बादी ज्यादा होती है।
  • पौधे अनियमित उगते हैं, खरपतवार भी ज्यादा होती है

सरसों की खेती से कमाई के नए रास्ते

  • तेल निकालकर बाजार में अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है।
  • हरी पत्तियों (सरसों का साग) और दानों से अतिरिक्त आमदनी मिलती है।
  • फसल सिर्फ 90-100 दिनों में तैयार हो जाती है।
  • अगर सही बीज, सिंचाई और तकनीक अपनाएं तो पैदावार भी ज़्यादा और खर्च भी कम।

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