बाढ़ के बाद खेतों की मिट्टी: भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बाढ़ एक बड़ा संकट बनकर हर साल लाखों किसानों की नींद उड़ा देती है। खेत जलमग्न हो जाते हैं, फसलें तबाह हो जाती हैं, और जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। लेकिन क्या बाढ़ केवल नुकसान ही लाती है?
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सही नजरिए से देखा जाए, तो बाढ़ मिट्टी की उर्वरता को नई ताकत और पोषण देती है। यह प्रकृति का एक ऐसा चक्र है, जो विनाश के साथ-साथ पुनर्निर्माण का काम भी करता है।
कैसे बढ़ती है बाढ़ के बाद मिट्टी की ताकत?
बाढ़ का पानी जब बहकर खेतों तक पहुंचता है, तो अपने साथ गाद (सिल्ट) और सूक्ष्म पोषक तत्वों की भरमार लेकर आता है। यह गाद महीन मिट्टी, जैविक अवशेष, पत्तियां और खनिजों से भरपूर होती है। जब यह खेतों पर जमती है, तो मिट्टी को मिलता है:
- नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटैशियम (K) जैसे तत्व होते हैं जो हर फसल की अच्छी बढ़त के लिए ज़रूरी हैं।
- कार्बनिक पदार्थ: सड़ी-गली पत्तियां, टहनियां और जैविक अवशेष मिट्टी में मिलकर उसे जीवंत और उपजाऊ बनाते हैं।
फायदे के साथ चुनौतियां भी
बाढ़ के बाद खेतों की मिट्टी में उर्वरता ज़रूर बढ़ सकती है, लेकिन इसके साथ कुछ मुश्किलें भी आती हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
- कई बार पानी लंबे समय तक खेतों में जमा रह जाता है
- जिससे मिट्टी की नमी का संतुलन बिगड़ जाता है और फसल लगाने में देर हो जाती है।
- कुछ जगहों पर बाढ़ रेत की मोटी परत छोड़ जाती ह
- जो उपजाऊ मिट्टी को ढक देती है और फसल की पैदावार पर असर डालती है।
- बाढ़ का पानी कई बार प्रदूषक और केमिकल भी साथ लाता है,
- जो मिट्टी की सेहत को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
क्या करें किसान?
- बाढ़ के बाद मृदा परीक्षण कराएं।
- खेत में रेत की मोटी परत हटाएं और मिट्टी पलटें।
- गाद को हटाने की बजाय समतल करें।
- जैविक खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें।
- जल निकासी सही करें।
- सिंचाई सही मात्रा में करें।
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