हर साल भारी बारिश और बाढ़ सिर्फ खेतों को ही नहीं, बल्कि पशुओं की सेहत को भी भारी नुकसान पहुंचाती है। जहां इंसान बाढ़ का सामना करके किसी तरह खुद को संभाल लेते हैं, वहीं पशुओं को कई तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा घेर लेता है।
बाढ़ के दौरान गंदा पानी, कीचड़, कीड़े-मकोड़े और परजीवी तेजी से फैलते हैं। इससे पशुओं में दस्त, खुर सड़ना, टिटनेस, पीलिया और कई अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जरूरी है कि हर पशुपालक समय रहते सही कदम उठाए। यहां हम बता रहे हैं बाढ़ और बरसात के बाद पशुओं को बीमारियों से बचाने के 5 जरूरी उपाय।
बाढ़ वाले इलाकों से पशुओं को दूर रखें
बरसात-बाढ़ के पानी में मच्छर, मक्खियाँ, जोंक और कीड़े पनपते हैं, जो आपके जानवरों को बीमार कर सकते हैं।
- पशुओं को बाढ़ और पानी भरे इलाकों से दूर ले जाएं।
- शेड की दरारें भरवाएं और साफ-सफाई बनाए रखें।
गंदे पानी से हो सकती हैं गंभीर बीमारियां
बाढ़ का पानी बैक्टीरिया से भरा होता है इससे दस्त, पीलिया और गर्भपात जैसे रोग हो सकते हैं।
- पशुओं को उबला और ठंडा किया हुआ पानी ही दें।
- खासकर बछड़ों को साफ पानी दें।
- ज़रूरत हो तो नज़दीकी वेटनरी सेंटर से पानी की जांच कराएं।
गीले में खड़े रहने से सड़ सकते हैं खुर
पानी में खड़े रहने से खुर गलने लगते हैं और वे लंगड़े हो सकते हैं।
- गीली मिट्टी और दलदली ज़मीन में खड़े रहने से पशुओं के खुर सड़ने लगते हैं।
- खड़े होने वाली जगह पर सूखी चीजें बिछाएं
- शेड में पानी जमा न होने दें और खुरों की नियमित सफाई करें।
दवाएं हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही दें
बाढ़ के बाद परजीवी और कीड़े ज़्यादा हो जाते हैं, लेकिन इलाज में लापरवाही न करें।
- दवा सिर्फ वेटनरी डॉक्टर की सलाह पर दें
- दवा की डोज डॉक्टर द्वारा बताई गई ही दें, न ज्यादा, न कम।
- हर साल एक ही दवा न दें, समय-समय पर बदलते रहें।
- नीम-हकीम या पड़ोसी की सलाह से दवा न दें
- दवा और इलाज का पूरा रिकॉर्ड अपने पास रखें।
भूसे और चारे की कमी से कैसे निपटें?
बाढ़ का असर पशुओं के चारे पर भी पड़ता है। गीला भूसा सड़ जाता है और बीमारी फैला सकता है।
- सूखा चारा तिरपाल या प्लास्टिक शीट में लपेटकर सुरक्षित रखें।
- अगर भूसे की कमी हो, तो फीड ब्लॉक या रेडीमेड फीड का सहारा लें।
- बाढ़ के दौरान हाइड्रोपोनिक चारा उत्पादन भी एक अच्छा विकल्प है।
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