भारत में तंबाकू खेती के लिए भले ही केंद्र सरकार की तरफ से कोई खास स्कीम या प्रोत्साहन योजना नहीं चलाई जा रही हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसानों को अकेले ही सब करना पड़ता है। फ्लू क्योर्ड वर्जीनिया (FCV) तंबाकू की खेती और बिक्री पर तंबाकू बोर्ड नजर रखता है। यह बोर्ड वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन आता है।और इसका काम है किसानों को अच्छा दाम दिलवाना, किसानों को सलाह और ज़रूरी जानकारी देना, और निर्यात को बढ़ावा देना।
भारत में तंबाकू खेती किसानों को मिल रहा बेहतर मूल्य
तंबाकू बोर्ड ने ई-नीलामी और फसल उत्पादन की सही योजना के ज़रिए किसानों को फायदा पहुँचाने का काम किया है।
- सिर्फ कुछ सालों में दाम लगभग दोगुने से भी ज़्यादा बढ़ गए हैं।
- साल 2020-21 में किसानों को तंबाकू के ₹135.24 प्रति किलो मिले थे,
- जबकि 2023-24 में यही कीमत बढ़कर ₹279.54 प्रति किलो हो गई।
- इस बढ़ोतरी से किसानों की आमदनी में सीधा इज़ाफा हुआ है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हुई है।
तंबाकू निर्यात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
भारत से तंबाकू का निर्यात लगातार बढ़ रहा है और दुनियाभर में इसकी मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। साल 2020-21 में तंबाकू निर्यात का मूल्य ₹6,496.99 करोड़ था, जो अब 2024-25 में बढ़कर ₹16,728.02 करोड़ तक पहुंच गया। यानी सिर्फ कुछ ही सालों में निर्यात में ढाई गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। यह साफ दिखाता है कि भारतीय तंबाकू उत्पादों की गुणवत्ता अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी पसंद की जा रही है।
फार्म-टू-फैक्टरी कनेक्शन की चुनौतियाँ
- बाकू बोर्ड अभी खेत से सीधे फैक्ट्री तक के जुड़ाव (फार्म-टू-फैक्टरी लिंक) पर ज्यादा काम नहीं कर रहा है।
- बोर्ड ने तंबाकू की गुणवत्ता सुधारने और वैश्विक बाजार की मांग को समझकर मार्केटिंग बेहतर बनाने के लिए जरूर कदम उठाए हैं।
- इसका मतलब है कि किसानों को उनकी फसल का बेहतर दाम दिलाने और भारत के तंबाकू को दुनिया में मजबूती से बेचने पर ध्यान दिया जा रहा है।
- लेकिन खेत से फैक्ट्री तक के कनेक्शन को और मजबूत करने की ज़रूरत अभी बाकी है।
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