दूध में गिरावट का कारण: जो लोग पशुपालन से जुड़े हैं, उनके लिए ये समझना बहुत जरूरी है कि गाय या भैंस से दूध निकालना कोई आम काम नहीं है। ये एक ऐसा काम है जिसमें बहुत ध्यान और देखभाल की ज़रूरत होती है। अगर इस दौरान ज़रा-सी भी लापरवाही हो जाए, तो जानवरों को थनैला जैसी बीमारी हो सकती है। थनैला न केवल पशु की सेहत को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि दूध की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। इससे डेयरी की लागत बढ़ती है और दूध उत्पादन में गिरावट आती है।
थनैला क्या है?
थनैला या मास्टाइटिस एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो थनों में सूजन का कारण बनता है। यह रोग आमतौर पर तब होता है जब:
- दूध निकालते वक्त साफ-सफाई नहीं बरती जाती
- थनों को गलत तरीके से दबाया या खींचा जाता है
- गंदे हाथों या बर्तनों से दूध निकाला जाता है
दूध निकालते समय ध्यान देने योग्य बातें:
- दूध निकालने से पहले थनों को गुनगुने पानी से धोकर सुखाएं।
- दूध निकालने वाले के हाथ और कपड़े साफ होने चाहिए।
- बीमार व्यक्ति को दूध नहीं निकालना चाहिए।
- स्टील या एल्युमिनियम के बर्तन का प्रयोग करें और हर बार अच्छे से धोएं।
- दूध निकालते समय थन को मरोड़ें या खींचें नहीं, उंगलियों से हल्के दबाव में मुठ्ठी बनाएं।
- तेज या झटकेदार तरीके से दूध न दुहें, धीरे-धीरे और लगातार प्रक्रिया अपनाएं।
- पशु का रहने का स्थान साफ-सुथरा रखें, फर्श पर गंदगी न हो।
- थन, पूंछ और पेट पर गंदगी जमा न होने दें।
- बछड़े को दूध पिलाने के बाद थनों को धोना न भूलें, इससे संक्रमण का खतरा कम होता है।
थनैला की जांच कैसे करें?
- थनैला का संदेह तब होता है जब दूध में Alpha-1 Glycoprotein की मात्रा बढ़ जाती है।
- दूध का सैंपल Spectrophotometer से जांचा जाता है।
- यदि समय रहते बीमारी पकड़ में आ जाए, तो इसका इलाज आसान और प्रभावी होता है।
थनैला से जुड़ी अन्य सावधानियां
- डेयरी में काम करने वाले लेबर की निजी सफाई पर ध्यान दें
- गंदे कपड़े, हाथ, नाखून आदि संक्रमण फैला सकते हैं
- तनाव और खराब पोषण से भी पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है
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