बांस (Bamboo) को हरित सोना (Green Gold) कहा जाता है, क्योंकि यह बहुत तेजी से बढ़ता है और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होता है। यह किसानों के लिए लंबे समय तक कमाई का अच्छा जरिया है। अगर आप ऐसी खेती करना चाहते हैं जिसमें बार-बार बोवाई न करनी पड़े और अच्छा मुनाफा हो, तो बांस की खेती एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है।
बांस के पौधे की रोपाई के करीब 3 से 4 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. बता दें कि एक बार बांस के पौधों (Bamboo) की रोपाई करने के बाद ये करीब 40 से 50 साल तक पैदावार देते हैं यानी ये एक लंबे समय तक चलने वाली फसल है
बांस की खेती के लिए सही मिट्टी
बांस की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए ताकि पानी जमा न हो। pH मान 5.5 से 6.5 होना चाहिए, यानी मिट्टी न ज्यादा खारी हो और न ही ज्यादा अम्लीय। बांस को गहरी, नम और जैविक खाद वाली मिट्टी पसंद होती है।
रोपाई और फसल काटने का सही तरीका
बांस की रोपाई जुन से अगस्त मानसून में करें। पौधे को 5×5 मीटर दूरी पर लगाएं। गड्ढे में गोबर की खाद डालें और हल्की सिंचाई करें। नियमित रूप से सिंचाई जरूरी करे, खासकर पहले 2-3 महीने तक। पहली कटाई 3-4 साल बाद करें। और पुरानी टहनियों को जमीन से थोड़ा ऊपर से काटें। कटाई का सबसे अच्छा समय ठंड का मौसम होता है (अक्टूबर से फरवरी)। सही तरीके से कटाई करने पर पौधा हर साल नई फसल देता है।
बांस की खेती के फायदे (Benefits of bamboo cultivation)
बांस की खेती करना किसानों के लिए कई तरीकों से फायदेमंद है. इसकी खेती का सबसे बड़ा फायदा है कि किसानों को ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है, साथ ही बांस की फसल एक लो मेंटिनेंस फसल है यानी इसको कम देखभाल की जरूरत होती है. इसे एक बार लगाएं और 40-50 साल तक मुनाफा मिलता है। बांस से फर्नीचर, कागज और सजावट के सामान बनते हैं, इसलिए इसकी बाजार में अच्छी मांग होती है। बांस की देखभाल बहुत कम होती है। इसे ज्यादा पानी या खाद की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए खेती आसान हो जाती है।
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