मचान विधि (Scaffolding Farming) खेती का एक नया और आधुनिक तरीका है। यह उन जगहों के लिए अच्छा है जहाँ जगह कम होती है, जैसे शहरों में या छोटी जगहों पर। इसमें खेती ज़मीन पर नहीं, बल्कि ऊँचाई पर की जाती है। हम इसे “ऊँचाई वाली खेती” या “वर्टिकल फार्मिंग” भी कह सकते हैं।
Scaffolding Farming: अब देश के किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ नए और वैज्ञानिक तरीके भी अपना रहे हैं। ऐसा ही एक तरीका है मचान विधि, इस विधि से किसान कम जमीन में ज्यादा और अच्छी फसल उगा सकते हैं। इससे फसल की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बढ़ती हैं, और किसानों को अच्छी आमदनी मिलती है।
मचान विधि क्या है?
मचान विधि एक ऐसा तरीका है जिसमें बांस, लकड़ी या लोहे के पाइप और तार की मदद से खेत में एक जाल या ढांचा बनाया जाता है. इस जाल पर बेल वाली फसलों (जैसे लौकी, कद्दू, तोरई) को चढ़ाया जाता है ताकि वे जमीन पर फैलने की बजाय ऊपर बढ़ें. जिससे ये पौधे जमीन पर फैलने के बजाय ऊपर की ओर बढ़ते हैं। इससे फसलें जमीन से कम छूती हैं, और सड़ने या खराब होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
किन फसलों के लिए उपयुक्त?
- लौकी
- खीरा
- करेला
- तोरई
- टिंडा
कुछ फल जैसे अंगूर और तरबूज की खेती की जाती है। अगर इन्हें मचान (जाली या सहारे) पर चढ़ाकर उगाया जाए, तो ये जल्दी बढ़ते हैं और अच्छी पैदावार देते हैं।
मचान विधि कैसे बनाएं?
- मचान विधि में ऐसी जगह चुनें जहाँ धूप अच्छी आती हो और पानी जमा न होता हो।
- बांस या लकड़ी की बल्ली, लोहे के पाइप, मजबूत रस्सी या तार से एक मजबूत ढांचा तैयार किया जाता है
- पानी, खाद और दवाइयों की सही मात्रा दें। जिससे फसल स्वस्थ रहती है.
- फसल के पौधे जब थोड़े बड़े हो जाते हैं तो उनकी बेलों को इस जाल पर चढ़ा दिया जाता है.
मचान विधि के फायदे
मचान विधि का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें कम जगह में ज्यादा फसल उगाई जा सकती है। यह तरीका खासकर उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जिनके पास खेत नहीं हैं या जगह बहुत कम है, जैसे शहरों में रहने वाले लोग। इससे किसान या छत, गैलरी, बगीचे में लगा सकते हैं साथ ही, पौधे ऊँचाई पर होने की वजह से जानवरों और कीटों से भी कम प्रभावित होते हैं। साफ-सफाई बनाए रखना आसान होता है और फसलें जल्दी और बेहतर क्वालिटी की मिलती हैं।
सरकार से मिल सकता है सहयोग
Scaffolding Farming जैसी आधुनिक खेती के लिए सरकार से भी सहयोग मिल सकता है। भारत सरकार और राज्य सरकारें किसानों को नई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। कई योजनाओं के तहत किसानों को सब्सिडी, प्रशिक्षण, और उपकरणों पर छूट दी जाती है।
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