Aloe Vera Farming: एलोवेरा की खेती आज के समय में एक लाभदायक और लोकप्रिय खेती बन चुकी है। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। एलोवेरा की पत्तियों से निकलने वाला जेल दवा, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट हो या आयुर्वेद दवा में खूब इस्तेमाल होता है। यह फसल कम पानी और कम लागत में तैयार हो जाती है। एलोवेरा की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। इसकी खेती के लिए गर्म जलवायु और रेतली-दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। किसान एलोवेरा की खेती से 3-4 महीने में अच्छी कमाई कर सकते हैं।
एलोवेरा की खेती कब करें?
एलोवेरा की खेती के लिए गर्मी का मौसम सबसे अच्छा होता है। क्योंकि इस दौरान जमीन गर्म रहती है और पौधे अच्छी तरह बढ़ते हैं। बहुत अधिक बारिश से बचना चाहिए, हल्की फुहार पौधों के लिए सही रहती है। ठंडे मौसम में एलोवेरा का विकास धीमा हो जाता है, इसलिए सर्दियों में इसकी खेती कम होती है। इस तरह, गर्म मौसम में एलोवेरा की खेती करना ज्यादा लाभदायक और आसान होता है।
एलोवेरा की खास किस्में:
- बारबेडेंसिस (Barbadensis Miller)
- चिनेंसिस (Chinensis)
- डेस्कमंडी (Descoadii)
- कम्पोसिटा (Composita)
एलोवेरा की खेती कैसे करे?
खेत को अच्छी तरह जुताई करके उसे समतल करें। मिट्टी में रेत या जैविक खाद मिलाकर उर्वरता बढ़ाएं ताकि पौधे स्वस्थ रहें। एलोवेरा की खेती इसके बीज से नहीं, बल्कि इसके पौधों के टुकड़ों (ऑफशूट्स) से होती है। इन पौधों के टुकड़ों (ऑफशूट्स) को 60×60 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं ताकि उन्हें बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले। इन्हे लगने के बाद तुरंत पानी देना चाहिए। उसके बाद जरूरत के हिसाब से पानी देते रहें।समय-समय पर पानी देने से एलोवेरा के पत्तों में जेल ज्यादा बनता है।
यहां होती है ज्यादातर खेती
इसकी ज्यादातर खेती पंजाब, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, केरल में की जाती है। इन राज्यों में एलोवेरा की खेती तेजी से बढ़ रही है क्योंकि यह कम पानी में भी अच्छी पैदावार देता है और इसकी मांग बाजार में लगातार बढ़ रही है।
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