मसूर की खेती: कम लागत, ज्यादा मुनाफा
अगर आप रबी सीजन में कोई ऐसी फसल ढूंढ रहे हैं जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे सके, तो मसूर की खेती आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकती है। यह फसल कम पानी में भी बढ़िया उपज देती है, और इसकी मांग साल भर बाजार में बनी रहती है।
मसूर की खेती क्यों फायदेमंद है?
- मसूर ऐसी फसल है जो सूखे इलाकों में भी अच्छी होती है।
- खर्च कम होता है और बाजार में मसूर की दाल की अच्छी कीमत मिलती है।
- फसल की देखरेख में ज्यादा मेहनत नहीं लगती।
- अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है और मार्च-अप्रैल में तैयार हो जाती है।
मसूर की उन्नत किस्में और उनकी पैदावार
बेहतर किस्में अपनाने से मसूर की खेती में उपज और मुनाफा दोनों बढ़ते हैं। यहां कुछ प्रमुख उन्नत किस्में दी गई हैं:
- एल 4717 (पूसा अगेती मसूर)
- फायदा: जल्दी पकने वाली (95–100 दिन)
- उपज: 12.5 से 20 क्विंटल/हेक्टेयर
- एल 4727 और एल 4729
- फायदा: सूखा सहनशील, कम पानी में भी अच्छी उपज
- उपज: 23–25 क्विंटल/हेक्टेयर
- पीडीएल-1 (पूसा अवंतिका)
- फायदा: रोग प्रतिरोधक
- उपज: 19–20 क्विंटल/हेक्टेयर
- पीएसएल-1 (पूसा युवराज)
- फायदा: मजबूत दाना, रोगों से लड़ने की क्षमता
- उपज: 19–20 क्विंटल/हेक्टेयर
कितना मुनाफा हो सकता है?
- प्रति हेक्टेयर उत्पादन: 10–15 क्विंटल
- बाजार मूल्य (औसतन): ₹110 प्रति किलो (यानी ₹11,000 प्रति क्विंटल)
- फसल की कुल लागत: ₹25,000–30,000 प्रति हेक्टेयर
- कुल आमदनी: ₹1,10,000 से ₹1,65,000
- शुद्ध मुनाफा: ₹90,000 से ₹1,50,000 प्रति हेक्टेयर
- मुनाफा प्रतिशत: लागत से दोगुना या उससे भी ज़्यादा
यानी मसूर की खेती से हर हेक्टेयर पर 90,000 से ₹1.5 लाख तक का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है।आप रबी सीजन में एक कम लागत वाली, कम मेहनत वाली और ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल की तलाश में हैं, तो मसूर की उन्नत किस्में आपके लिए बिल्कुल सही हैं। पूसा अगेती, पूसा अवंतिका और पूसा युवराज जैसी किस्मों के साथ आप एक बेहतर फसल ले सकते हैं और अच्छी कीमत भी पा सकते हैं।
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