इलाचयी की खेती (Cardamom farming): भारत में इलाचयी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इलायची एक खुशबूदार मसाला है। इसका इस्तेमाल चाय, मिठाई और दवाइयों में होता है। इसे मसालों की रानी कहा जाता है। यह एक ऐसा मसाला है जो भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बहुत पसंद किया जाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ खाने और चाय में नहीं, बल्कि दवाओं में भी किया जाता है, क्योंकि इसमें कई फायदे होते हैं।
इसलिए इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और इसका दाम भी अच्छा मिलता है। यही वजह है कि अब बहुत से किसान इलायची की खेती करना पसंद कर रहे हैं, क्योंकि इससे उन्हें अच्छा फायदा हो सकता है।
इलायची की खेती
इलायची को गर्म और नम जलवायु की जरूरत होती है. यह पहाड़ी इलाकों में सबसे अच्छे से उगती है और नरम, पानी निकालने वाली मिट्टी में उगाया जाता है। इसे जून-जुलाई के दौरान लगाया जाता है. इलायची के पौधे लगाने के लिए सबसे पहले एक अच्छे नर्सरी से पौधे खरीदें. फिर खेत की तैयारी करें. खेत में अच्छी तरह से जैविक खाद डालें ताकि मिट्टी में जरूरी पोषक तत्व मिल सकें. इलायची के पौधे को एक-दूसरे से कम से कम 1 मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. इलायची का पौधा 2.5 से 3 साल में फल देना शुरू करता है, और जब फली हल्की पीली हो जाए, तो उसे तोड़कर धूप में सुखाया जाता है।
इलायची के प्रकार:
- हरी इलायची (Green Cardamom) – इसे मीठे खाने में, चाय और मिठाइयों में उपयोग किया जाता है।
- काली इलायची (Black Cardamom) – इसका स्वाद ज्यादा तेज़ होता है और इसे नमकीन या मसाले वाले खाने में डाला जाता है।
इलायची की फसल का मुनाफा
एक एकड़ ज़मीन पर इलायची से 250 से 300 किलो तक फसल हो सकता है। इसकी कीमत समय-समय पर बदलती रहती है, लेकिन आमतौर पर यह अच्छी कीमत मिलती है। अगर किसान अच्छी तरह से खेती करें, तो वे साल में लाखों रुपये कमा सकते हैं।
और ये भी पढ़े :– कब खत्म होगा इंतज़ार: PM‑Kisan की 20वीं किश्त का जानिए