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परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत जैविक खेती करते किसान

परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) की पूरी जानकारी

Ashish Chouhan 2 weeks ago 0 5

परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana): भारत सरकार की एक योजना है, जिसका मकसद जैविक खेती को बढ़ावा देना है। इस योजना में किसानों को बिना रासायनिक खाद और कीटनाशक के खेती करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे मिट्टी की सेहत सुधर सके और फसलें ज्यादा सुरक्षित हों।

क्या है परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)?

परंपरागत कृषि विकास योजना, कृषि मंत्रालय की एक अहम योजना है। इसके तहत किसानों को एक समूह में जोड़कर जैविक खेती करना सिखाया जाता है। हर समूह में करीब 50 किसान होते हैं, और ये समूह लगभग 20 हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती करते हैं।

परम्परागत कृषि विकास योजना के मुख्य उद्देश्य

  • जैविक खेती को बढ़ावा देना – रासायनिक खाद और कीटनाशक ज्यादा इस्तेमाल करने से मिट्टी कमजोर हो जाती है और पर्यावरण भी खराब होता है। इस योजना का मकसद किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करना है, जिससे मिट्टी की ताकत बढ़े, वातावरण साफ रहे और लोगों को सेहतमंद खाना मिल सके।
  • किसानों की आय बढ़ाना – जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है, जिससे किसान अपनी फसल का अच्छा दाम पा सकते हैं। यह योजना किसानों को अच्छे उत्पाद तैयार करने और बाजार तक आसानी से पहुंचने में मदद करती है।
  • उपभोक्ताओं को रसायन मुक्त और सुरक्षित खाद्य देना – पारंपरिक तरीके जैसे बारिश का पानी जमा करना, मिलाकर फसल बोना और जैविक खाद का उपयोग मिट्टी और पानी की हालत बेहतर करते हैं। यह योजना किसानों को बदलते मौसम के अनुसार खेती करना सिखाती है और टिकाऊ खेती अपनाने में मदद करती है।

परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)  के लाभ- 

  • रसायन मुक्त और प्राकृतिक खेती के लिए सहायता।
  • जैविक तरीकों से जमीन और पानी की गुणवत्ता बढ़ती है।
  • किसानो को जैविक उत्पादों के अच्छे दाम मिलते हैं।
  •  किसानों को जैविक खेती सीखने और करने में मदद मिलती है।
  •  जैविक फसलों को बेचने के लिए बाजार में बेहतर पहुंच मिलती है।
  •  प्रदूषण कम होता है और पर्यावरण साफ रहता है।
  • किसान समूह बनाकर एक साथ खेती कर सकते हैं, जिससे सहयोग बढ़ता है।

जैविक कृषि योजना के लिए सहायता राशि (Financial Assistance):

परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत किसानों को तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर ₹50,000 की मदद दी जाती है। इसमें से ₹31,000 जैविक खेती के लिए जरूरी चीजों जैसे गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट, नीम का तेल आदि पर खर्च किया जा सकता है। बाकी पैसे का इस्तेमाल किसानों को प्रशिक्षण देने, जैविक प्रमाणपत्र दिलाने, फसल की पैकेजिंग और बाजार तक पहुँचाने में किया जाता है। इससे किसानों को जैविक खेती करने में पूरी मदद मिलती है।

परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के 

  • किसान भारतीय होना चाहिए।
  • किसान जैविक खेती करने के लिए तैयार हो।
  • कम से कम 20 किसानों का एक समूह बनाकर खेती करनी होती है। 
  • स्व-सहायता समूह, किसान संगठन या सहकारी समिति के जरिए भी शामिल हो सकता है।

PKVY के लिए आवेदन प्रक्रिया 

आवेदन करने के लिए सबसे पहले किसान अपने राज्य के कृषि विभाग या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क कर सकता है। इसके अलावा, किसान अपने कृषि तकनीकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) से भी जानकारी ले सकता है।

किसान समूह बनाकर क्लस्टर का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। इसके लिए आधार कार्ड, जमीन के दस्तावेज़ और बैंक खाता विवरण जैसे जरूरी कागजात जमा करने होते हैं। आवेदन देने के बाद संबंधित अधिकारी खेत का निरीक्षण करते हैं। निरीक्षण के बाद अगर आवेदन मंजूर हो जाता है, तो किसान को योजना के तहत वित्तीय सहायता दी जाती है।

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