कश्मीर के सेब (Kashmir apples) उत्पादकों के लिए अच्छी खबर है। विदेश से आने वाले सेबों की बढ़ती संख्या से किसान परेशान थे, लेकिन अब सरकार उनकी मदद करने वाली है। केंद्र सरकार जल्द ही सेब आयात नीति की समीक्षा करेगी, जिससे देश के सेब किसानों को बचाव मिलेगा और वे सुरक्षित रहेंगे।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को श्रीनगर में एक व्यापार सम्मेलन में कहा कि सरकार कश्मीरी सेब उत्पादकों की मांगों को गंभीरता से सुनेगी। यह सम्मेलन फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (FIII) ने आयोजित किया था। इसमें जम्मू-कश्मीर के मंत्री सतीश शर्मा, राज्यसभा सांसद ग़ुलाम अली खटाना और राष्ट्रीय व्यापार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सुनील सिंह भी शामिल थे।
क्या है समस्या?
पिछले कुछ सालों में भारत में विदेश से बहुत सस्ते सेब आने लगे हैं, खासकर ईरान, तुर्की और अफगानिस्तान से। ये सेब इतने सस्ते होते हैं कि कश्मीर के बागवानों को सही दाम नहीं मिलता। इस वजह से स्थानीय सेब की मांग कम हो गई है। जिससे किसानों को अपनी लागत से भी कम कीमत मिलती है। इससे कश्मीर के सेब उद्योग को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।
संभावित सरकारी कदम
केंद्र सरकार सेब आयात नीति में बदलाव पर विचार कर रही है। इसके तहत विदेशी सेबों पर आयात शुल्क बढ़ाया जा सकता है, कुछ देशों से आयात पर सीमाएं लग सकती हैं और देशी किसानों को सब्सिडी या समर्थन मूल्य (MSP) दिया जा सकता है। इन कदमों का मकसद है कि कश्मीरी और देशी सेब उत्पादकों को संरक्षण मिले और वे बाजार में मजबूती से टिके रह सकें।
इस उद्योग में GST छूट की संभावना
सम्मेलन में कश्मीर के हस्तशिल्प उद्योग से जुड़ी लोगों ने GST को 12% से घटाकर 5% करने की मांग रखी। इस पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को ध्यान से देखेंगे और इसका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।
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