सेब कारोबार में नुकसान: जम्मू-कश्मीर को देश से जोड़ने वाला एकमात्र राष्ट्रीय राजमार्ग (जम्मू-श्रीनगर हाइवे) पिछले तीन सप्ताह से बाधित है, जिससे सेब कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सेब की आपूर्ति बाधित, ट्रक देरी से पहुंचने और उपज खराब होने के चलते जम्मू की मंडियों में कीमतें बुरी तरह गिर गई हैं।
क्यों टूटी सेब की कीमतें?
26-27 अगस्त को हुई रिकॉर्ड बारिश ने इस हाईवे के कई हिस्सों को बर्बाद कर दिया खासकर नाशरी और उधमपुर के बीच। अब जब ट्रक लदे हुए सेब लेकर कश्मीर से निकलते हैं, तो उन्हें जम्मू तक पहुंचने में 10 से 15 दिन लग जाते हैं। इतनी देरी में सेब क्या बचेगा? इस कारण सेब की पेटियां जो पहले 1000 रुपये में बिकती थीं, अब 100 से 200 रुपये में बिक रही हैं। 60% तक की उपज खराब हो चुकी है।
ट्रकों को पहुंचने में लग रहे 10–15 दिन
हाइवे बंद होने के चलते कश्मीर से जम्मू तक ट्रक 15 दिन में पहुंच रहे हैं, जिससे ताजा सेब 60% तक खराब हो रहे हैं।
50 साल में कभी नहीं देखा ऐसा नुक़सान
मंडी के पुराने व्यापारी मानिक गुप्ता, जो पिछले 5 दशक से फल व्यापार में हैं, बेहद भावुक होकर कहते हैं उन्होंने कहा कि कश्मीर के CA स्टोरेज (Controlled Atmosphere Cold Storage) पहले से भर चुके हैं। अब किसान उत्पादन भेजने से कतरा रहे हैं, क्योंकि घाटा उठाने की हिम्मत नहीं बची।
सेब की मिठास बचानी है, तो रास्ता खोलना होगा
कश्मीर का सेब ना केवल इसकी अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ है, बल्कि देशभर के बाजारों में यह एक भावनात्मक जुड़ाव भी बन चुका है। लेकिन जब सेब की पेटियां मंडी में धूप में सड़ रही हों और किसान कर्ज में डूब रहे हों, तब ये सिर्फ एक व्यापार नहीं एक त्रासदी बन जाती है।
सरकार को जल्द और ठोस कदम उठाने होंगे। क्योंकि सेब तो फिर से उग आएंगे लेकिन किसान और व्यापारी अगर टूट गए, तो वो भरोसा दोबारा नहीं उगता
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