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किसान खेत में मृदा स्वास्थ्य कार्ड के साथ – मिट्टी की जांच के बाद फसल योजना बनाते हुए

मिट्टी की सेहत, किसान की ताकत – जानिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के फायदे!  

Ashish Chouhan 2 weeks ago 0 7

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme): भारत सरकार ने 2015 में शुरू की थी। इसका मकसद किसानों को उनकी मिट्टी की हालत की जानकारी देना है। इस कार्ड से किसान जान पाते हैं कि उनकी जमीन में कौन‑से पोषक तत्व कम या ज्यादा हैं। इससे वे फसल के लिए सही उर्वरक और खेती का तरीका चुन सकते हैं, जिससे उपज बढ़ती है और लागत घटती है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की मुख्य बातें
इस योजना का उद्देश्य किसानों को कम खर्च में ज्यादा फसल उगाने में मदद करना है। इसके लिए मिट्टी की जांच करके बताया जाता है कि उसमें कौन‑से पोषक तत्व कम या ज्यादा हैं। फिर उसी हिसाब से उर्वरक (खाद) इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इससे मिट्टी की सेहत सुधरती है और फसल अच्छी होती है। इस जांच में 12 तरह के पोषक तत्वों को देखा जाता है।

  1. मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (मुख्य पोषक तत्व):
    1. N (नाइट्रोजन)
    2. P (फॉस्फोरस)
    3. K (पोटैशियम)
    4. S (सल्फर)
  2.  माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (सूक्ष्म पोषक तत्व):5. Zn (जिंक)
    6. Fe (आयरन)
    7. Cu (कॉपर)
    8. Mn (मैंगनीज)
    9. B (बोरॉन)
  3. मृदा गुण (Soil Properties):
    10. pH (मिट्टी की अम्लता/क्षारीयता)
    11. EC (इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी – लवणता स्तर)
    12. OC (ऑर्गेनिक कार्बन – जैविक तत्व)

मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card – SHC) योजना के लाभ
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से किसानों को उनकी मिट्टी की सही जानकारी मिलती है। इससे पता चलता है कि मिट्टी में कौन‑से पोषक तत्व कम या ज्यादा हैं। किसान उसी अनुसार खाद डालते हैं, जिससे खर्च कम होता है और फसल अच्छी होती है। मिट्टी की सेहत बनी रहती है और जमीन खराब नहीं होती। इससे किसान की आमदनी भी बढ़ती है और खेती आसान हो जाती है।

 कैसे मिलता है मृदा स्वास्थ्य कार्ड?

  1. मिट्टी का सैंपल लिया जाता है – मिट्टी का सैंपल खेत से लिया जाता है, ताकि उसकी पोषण गुणवत्ता की जांच की जा सके। किसान अपने खेत से मिट्टी का नमूना निर्धारित गहराई से निकालते हैं और उसे परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजते हैं।
  2. सरकारी प्रयोगशाला में जांच होती है – उस मिट्टी के सैंपल को सरकारी प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जहाँ उसकी 12 महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की जांच की जाती है, जहां नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम समेत 12 पोषक तत्वों का विश्लेषण किया जाता है।
  3. रिपोर्ट तैयार – मिट्टी की जांच के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें पोषक तत्वों की मात्रा और गुणवत्ता का उल्लेख होता है। प्रयोगशाला में परीक्षण के आधार पर मिट्टी की पोषण स्थिति को दर्शाने वाली रिपोर्ट तैयार की जाती है।
  4. किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है- जांच के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) बनाया जाता है, जिसमें मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की जानकारी और उर्वरकों के उपयोग की सिफारिश शामिल होती है। यह कार्ड किसान को निःशुल्क प्रदान किया जाता है। 

सैंपल कहां जमा करें?

मृदा स्वास्थ्य कार्ड पाने के लिए किसान सबसे पहले अपने ब्लॉक या तहसील के कृषि विभाग कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, वे अपने गांव के कृषि सहायक, ग्राम सेवक या कृषि विस्तार अधिकारी से भी इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी ले सकते हैं।

कुछ राज्यों में यह सुविधा CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) और किसान सेवा केंद्रों के माध्यम से भी दी जाती है, जहां किसान अपने खेत की मिट्टी का सैंपल जमा कर सकते हैं। यह सैंपल फिर राज्य सरकार की अधिकृत मृदा परीक्षण प्रयोगशाला (Soil Testing Lab) में भेजा जाता है, जहां मिट्टी की जांच की जाती है और उसके आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार किया जाता है।

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