भारत सरकार ने खाद्य तेलों की कीमतों में राहत देने के लिए 12 जून 2025 को सरकार ने सोया, सूरजमुखी और पाम तेल जैसे कच्चे खाने के तेलों पर लगने वाली बेसिक कस्टम ड्यूटी को 20% से घटाकर 10% कर दिया है। इससे बाहर से आने वाले तेल सस्ते हो सकते हैं, जिससे देश में खाने के तेल की कीमतें कम रखने में मदद मिलेगी।
क्यों लिया गया ये फैसला?
मई 2025 में भारत ने पाम तेल का आयात 84% ज्यादा किया, जो नवंबर 2024 के बाद सबसे ज्यादा था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि देश में तेल का भंडार कम था और पाम तेल की कीमतें दूसरे तेलों के मुकाबले सस्ती थीं। सरकार ने जो टैक्स कम किया है, उससे बाहर से आने वाले तेल सस्ते होंगे और देश में खाने के तेल की कीमतों को काबू में रखने में मदद मिलेगी।
उपभोक्ताओं के लिए राहत
उपभोक्ताओं मिलेगी अब राहत हर घर में खाने के तेल की जरूरत होती है। अगर तेल सस्ता होगा, तो पूरे महीने का राशन थोड़ा कम खर्च में पूरा हो जाएगा। खाने-पीने की चीज़ें भी हो सकेगी सस्ती।
किसानों को इससे लगा बड़ा झटका
इससे जहाँ आम लोगों को राहत मिलेगी, वहीं भारतीय किसानों को नुकसान भी होगा। जब बाहर से आने वाला तेल सस्ता हो जाता है, तो बाजार में उसकी माँग बढ़ जाती है।लोग सस्ता तेल खरीदते हैं, जिससे देशी तेल (सरसों, सोया, सूरजमुखी) की बिक्री कम हो जाती है। लेकिन सरकार इस संतुलन को बनाए रखने के लिए किसानों के हित में भी समानांतर योजनाएं लागू करे ताकि उनके नुकसान की भरपाई की जा सके.