बरसात का मौसम मछली पालन के लिए चुनौती भरा हो सकता है। खासकर जब तालाब का पानी काला पड़ने लगे, तो यह खतरे की पहली चेतावनी है। ऐसा अक्सर भारी बारिश, बाहरी गंदगी, गोबर या खेतों से बहकर आए कचरे की वजह से होता है। इससे तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और मछलियों का दम घुट सकता है।
बरसात में मछली पालन क्यों मुश्किल
बारिश के बाद तालाब की स्थिति बिगड़ने लगती है। बारिश का पानी जब तालाब में गिरता है, तो उससे मौजूद फायदेमंद बैक्टीरिया मरने लगते हैं, जिससे कीचड़ और बदबू बढ़ जाती है। साथ ही, पानी में ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है, जिससे मछलियों की जान पर बन आती है। धीरे-धीरे पूरा तालाब का जैविक संतुलन (इकोसिस्टम) गड़बड़ा जाता है, और मछली पालन में नुकसान होने लगता है।
बरसात में मछली पालन के लिए जरूरी उपाय
- pH, ऑक्सीजन और तापमान समय-समय पर मापते रहें।
- तालाब में ऑक्सीजन की कमी न हो, इसके लिए ज़रूरी है।
- पत्ते, कीचड़ और जैविक कचरा हटाते रहें।
- प्रति एकड़ 80 किलो चूना डालें, pH संतुलन बना रहेगा।
- ज्यादा भीड़ से ऑक्सीजन कम पड़ सकती है।
- बारिश से पानी में गड़बड़ी आती है, बैक्टीरिया मर सकते हैं।
मछली पालन कैसे सफल बनाएं
सिर्फ मछलियाँ डालना और चारा देना ही काफी नहीं है। बरसात में मछली पालन के लिए मौसम के अनुसार तालाब का सही प्रबंधन उतना ही जरूरी है। खासकर बरसात में सतर्क रहकर और समय रहते उपाय अपनाकर मछली पालक किसान बड़े नुकसान से बच सकते हैं और उत्पादन को लगातार बढ़ा सकते हैं।
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